रेलवे के खानपान की पेचीदगी


 


देश का हर व्यक्ति किसी न किसी रूप में रेलवे पर आश्रित है, लेकिन उसकी सेवा को लेकर किसी के पास कहने के लिए शायद ही कोई सकारात्मक बात होगी. पिछले कुछ वर्षों से रेलवे की खानपान सेवा को सुधारने की कई कोशिशें होती रही हैं, पर इसे लेकर विवादों का कोई अंत नहीं दिख रहा है. मुसाफि इसकी बढ़ती दरों और क्वॉलिटी को लेकर हमेशा ही शिकायत करते रहे हैं. बीते 7 अप्रैल, 2019 को दिल्ली से भुवनेश्वर जा रही प्रीमियम श्रेणी की राजधानी एक्सप्रेस में परोसे गये नॉनवेज खाने से करीब पांच दर्जन यात्री फूड पॉयजनिंग के शिकार हो गये। बीमार यात्रियों को दवा देकर और भोजन के नमूने लेकर आईआरसीटीसी ने परोसनेवाली एजेंसी पर कार्रवाई की बात कही, पर इसकी गुंजाइश रेल की कैटरिंग सर्विस से जुड़ी अपनी रिपोर्ट संसद के झंझट से बचा जा सकता था लेकिन जब से रेलवे ने कम है कि आगे ऐसा हादसा नहीं होगा। अतीत में कई सामने रखी थी। रिपोर्ट में भारतीय रेल की कैटरिंग खाने का जिम्मा निजी हाथों में सौंपा है, इसका बंटाधार बार ऐसा हुआ है, जब खराब नाश्ते-भोजन की शिकायत सर्विस में कई अनियमितताओं पर सवाल उठाये गये थे। शुरू हो गया है। रेलवे ने भोजन व्यवस्था को निजी पर कैटरिंग स्टाफ अपनी गलती मानने की बजाय जैसे यह कहा गया था कि ट्रेनों और रेलवे स्टेशनों पर हाथों में सौंपते समय दलील थी कि इससे भोजन की मुसाफिरों से ही अभद्रता पर उतर आये। हैरानी ही है कि यात्रियों को परोसी जा रही चीजें खाने लायक नहीं हैं। क्वॉलिटी सुधरेगी और कमजोर वर्ग को काम भी रेल मंत्रालय ट्रेनों में दिये जानेवाले भोजन की निगरानी वे प्रदूषित हैं और कई डिब्बाबंद व बोतलबंद वस्तुएं मिलेगा। रेलवे की कैटरिंग सेवा के जरिये कुछ लोगों के जितने बड़े प्रबंधों के दावे करता है, समस्या उतनी ही एक्सपायरी डेट के बाद भी बेची जा रही हैं। सीएजी के को स्व-रोजगार उपलब्ध कराने का रेलवे का प्रस्ताव बढ़ती दिखती है। नवंबर, 2018 में ऐलान किया गया था मुताबिक 2005 से भारतीय रेलवे ने तीन बार अपनी आकर्षक था, लेकिन धीरे-धीरे इसमें मुनाफखोरों ने कि भोजन की क्वॉलिटी को लेकर हो रही शिकायतों को कैटरिंग पॉलिसी में बदलाव किया। कैटरिंग सर्विस को घुसपैठ कर ली, जिन्हें भोजन की गुणवत्ता से कोई देखते हुए रेलमंत्री खुद इ-दृष्टि नामक सॉफ्टवेयर की पहले 2005 में आईआरसीटीसी को दिया गया था और मतलब नहीं। हाल यह है कि रेलवे की खानपान सेवा मदद से बेस किचन पर नजर रखेंगे। इसके लिए उनके वापस जोनल रेलवे को दिया गया था, बाद में एक बार के तहत ठेका हासिल करनेवाले ठेकेदार रेल कमरे में एक बड़ी स्क्रीन लगायी गयी है, जिस पर फिर उसे आईआरसीटीसी को दे दिया गया। रिपोर्ट ने अधिकारियों को येन-केन-प्रकारेण (घूस देकर) संतुष्ट रेलमंत्री भोजन पकते हुए देख सकेंगे। तो क्या यह माना इन समस्याओं के लिए मैनेजमेंट स्तर पर लगातार हो कर लेते हैं और फ् ियात्रियों को भोजन मुहैया कराने जाये कि राजधानी एक्सप्रेस का भोजन भी उनकी नजरों रहे बदलाव को बड़ा कारण बताया, जिससे अनिश्चितता के नाम पर अपने खाने-पीने की ही व्यवस्था करने से गुजरा होगा? रेलवे की खानपान सेवा कीमतों और की स्थिति बनी और यात्रियों को नुकसान हुआ उस लगते हैं। न तो रेल अधिकारी इसकी नियमित जांच गुणवत्ता को लेकर विवाद नये नहीं हैं। सारी दिक्कतें लंबी दौरान सीएजी और रेलवे की संयुक्त टीम ने 80 ट्रेनों करते हैं कि परोसा गया भोजन खाने योग्य है भी या दूरियों की उन ट्रेनों में हैं, जिनके रास्ते में न्यूनतम ठहराव का मुआयना भी किया। इसमें पाया गया कि पेय पदार्थों नहीं और यदि हंगामा न किया जाये, तो इस बारे में (स्टॉपेज) होते हैं और लोगों के सामने ट्रेन में ही लगी में साफ पानी का इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है और यात्रियों की शिकायतें सुनने तक की व्यवस्था नहीं है। पैंट्री कार से मिलनेवाले भोजन का विकल्प होता है। खाने-पीने की चीजों को ढकने तक की व्यवस्था नहीं राजधानी, दूरंतो और शताब्दी जैसी ट्रेनों में मिलनेवाले ऐसी ज्यादातर ट्रेनों में अक्सर ही यात्री यह शिकायत है। ट्रेनों के अंदर चूहे और तिलचट्टे पाये गये हैं। पैंट्री खाने की कीमत में बढ़ोत्तरी के बावजूद रेल यात्रियों को करते पाये जाते हैं कि भोजन की क्वॉलिटी बेहद खराब कार के जरिये बेची जा रही चीजों की ऊंची कीमत कोई गारंटी नहीं दी जाती कि उन्हें बेहतरीन भोजन थी। भोजन में कॉकरोच निकलने जैसी घटनाएं भी आयी वसूली जाती है, जबकि उनका वजन भी तयशुदा मात्रा मिलेगा और संतुष्ट नहीं होने पर वे उसकी कीमत वापस हैंयह हाल तो प्रीमियम श्रेणी की राजधानी और से कम पाया गया एक दौर था, जब रेलवे की कैटरिंग पा सकते हैं या उसकी शिकायत कर सकते हैंजिस शताब्दी जैसी ट्रेनों के खानपान का है, साधारण श्रेणी की सेवा इतनी खराब नहीं थी और भोजन की कीमत भी रेल यात्रा के सुखद होने का आश्वासन रेलवे अपने मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में कैसा भोजन दिया जाता है-इसकी अधिक नहीं थी। मुसाफिर रेलवे के संतुष्टिदायक भोजन यात्रियों को देती है, यदि वह खराब और महंगा भोजन सहज ही कल्पना की जा सकती है। साल 2017 में भारत को मानने लगे थे कि जरूरत पड़ने पर वह खाया जा देने पर ही आमादा रहती है, तो आखिर कैसे कोई यात्रा के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (सीएजी) ने भारतीय सकता था और घर से भोजन बांधकर ले चलने के मंगलमय और आरामदेह हो सकती है।