चुनाव में भी चुनौती बने बेलगाम अपराध
भोपाल में बीते बुधवार दिनदहाड़े 12 साल की 2004 से 2016 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों दल को कैसे परखेंगे? दरअसल, राजनीतिक दल नाबालिग बच्ची के साथ दुष्कर्म होता है और उसके में 74.99: वृद्धि हुई नाबालिग बच्चियों के साथ भी रंगकर्म करते हैं लेकिन वह कभी असरदार नहीं बाद हत्या कर उसे पहाड़ी से नीचे फेंक दिया जाता बलात्कार 249: बढ़ गए महिलाओं के अपहरण की दिखता! मध्य प्रदेश की बिगड़ती कानून-व्यवस्था है! यह सबकुछ 45 मिनट में ही हो जाता है। और, घटनाओं में 755: की वृद्धि हुई। 13 साल में के खिलाफ बीती जनवरी में भाजपा ने सभी जिला पुलिस को भोपाल में ही घूम रहे आरोपित को अराजक तत्वों, अवसाद और आर्थिक तंगी की मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर प्रदेश सरकार के पुतले तलाशने में साढ़े तेरह घंटे लग जाते हैं। यह है राज्य वजह से 27 हजार 457 महिलाओं ने आत्महत्या कर फूछे थे। राज्य में सत्ता बदलाव के बाद कानूनकी राजधानी के जरिए दिख रहा मध्य प्रदेश की ली। 93 हजार 479 महिलाएं छेड़छाड़ का शिकार व्यवस्था पर बात करते हुए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष कानून-व्यवस्था का वो खौफनाक चेहरा, जो घट रहे हुईं। बहनों के साथ अन्याय में 1168: बढ़ोतरी हुई। राकेश सिंह ने कहा था - प्रदेश में कानून व्यवस्था अपराधों से भी ज्यादा भयावह है। आचार संहिता के मामा के राज में मप्र में 32: नाबालिग बच्चियों की के हालात गंभीर रूप लेने लगे हैं। भोपाल में पुलिस दौरान पुलिस की उपस्थिति-सख्ती चर्चा का विषय शादी होती है। अब सरकार बनने के बाद कमलनाथ पार्टी पर पथराव, इंदौर में कारोबारी संदीप अग्रवाल होती है। कई उदाहरणों के साथ बार-बार यह सरकार के गृह मंत्री बाला बच्चन का विधानसभा में की हत्या, मंदसौर में नगरपालिका के अध्यक्ष स्थापना भी सामने आती है कि यही दौर होता है, दिया गया जवाब भी देखिए - मध्य प्रदेश में प्रहलाद बंधवार की बीच बाजार नृशंस हत्या और जिसमें पुलिस-प्रशासन जनप्रतिनिधियों से ज्यादा कांग्रेस के शासनकाल में दो महीने से अधिक समय बड़वानी में भाजपा मंडल अध्यक्ष की निर्मम हत्या ताकतवर हो जाता है। लेकिन, चिंताजनक यह है कि (नवंबर 2018 से जनवरी 2019 तक) में हत्या, कर दी गई। इन घटनाओं से लोगों में दहशत का इसी दौरान कई कस्बों, जिलों और शहरों की लूटपाट और महिलाओं पर अत्याचार के 12000 से माहौल है, वहीं यह बात भी साबित होती है कि घटनाओं ने पुलिस-प्रशासनिक नुमाइंदों की भी ज्यादा मामले सामने आए, जिनमें महिलाओं पर प्रदेश की कांग्रेस सरकार का कानून-व्यवस्था से कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इंदौर में अत्याचार के सबसे ज्यादा 6310 प्रकरण शामिल हैं। कोई लेना-देना नहीं है । उसी दौर में प्रदेश के गृह आए दिन नशे की हालत में आपराधिक तत्व राह एक अन्य सवाल के लिखित जवाब में गृह मंत्री ने मंत्री बाला बच्चन इस आरोप और आश्वासन के चलते लोगों पर चाकू चला रहे हैं। चर्चा तब ज्यादा बताया कि 15 दिसंबर 2018 से 22 जनवरी 2019 साथ मीडिया के सामने आए थे कि - श्राज्य में 15 हो जाती है, जब काम से लौटते समय एटीएम से तक के अंतराल में कुल 179 हत्याएं और 410 वर्षों तक भाजपा का राज होने से कानून-व्यवस्था रुपए निकालकर घर जाते एलआईसी एजेंट की बीच दुष्कृत्य के मामले दर्ज हुए हैं। इस अवधि में चोरी की स्थिति बिगड़ गई है। नई सरकार लगातार स्थिति सड़क पर हत्या कर दी जाती है। पूछताछ में पता के पांच हजार 467, लूटपाट के 213 और डकैती के सुधारने का प्रयास कर रही है। आरोप-प्रत्यारोप की चलता है कि आरोपित इतने नशे में था कि उसे होश तीन मामले भी दर्ज हुए। राजधानी भोपाल में महिला राजनीति पांच माह पहले इसलिए नई बात थी कि ही नहीं रहा कि वह किसके पीछे भाग रहा था और अत्याचार के सर्वाधिक 445 मामले सामने आए। एक सरकार का जाना नया था और दूसरी का किसे चाकू मार रहा था। आठ अप्रैल की सुबह उज्जैन में यह संख्या 348, ग्वालियर में 325, धार आना भी नया ही था! प्रदेश का आम आदमी जबलपुर के बीच बाजार में कांग्रेस महासचिव में 296 और इंदौर में 265 रही उल्लेख की गई अवधि उम्मीद लगाए बैठा था कि पुराने अनुभव के साथ दिनेश गोस्वामी को दो युवकों ने गोली मार दी। में सबसे ज्यादा 776 चोरियां भी राजधानी भोपाल कांग्रेस की नई सरकार बुनियादी समस्याओं पर गोली कान से पास से निकल गई लेकिन पूरे इलाके में दर्ज हुईं। इंदौर में ये आंकड़ा 671 रहा। हत्या के कुछ करे या ना करे, लेकिन बात जरूर करेगी! में फैली दहशत ने यह संदेश जरूर दे दिया कि इस मामले में इंदौर सबसे आगे है। यहां 21, ग्वालियर लेकिन, इसे दुर्भाग्यपूर्ण ही कहा जाएगा कि लचर अराजकता के खिलाफ उठ रही आवाज पुलिस के में 16, भोपाल में 15 और सागर में 14 केस दर्ज कानून-व्यवस्था पर अब तक कोई निर्णायक कानों तक कब पहुंचेगी? ग्वालियर अंचल में हुए। इन आंकड़ों में बीते तीन महीने में हुए अपराधों पहल सामने नहीं आई है। श्तबादला-उद्योग के लूटपाट की घटनाएं भी बरकरार हैं।समय की सुई के आधिकारिक आंकड़े शामिल नहीं हैं। लेकिन, आरोप झेल चुकी कांग्रेस को पुलिस महकमे में को अब जरा-सा पीछे ले जाते हैं। करीब छह महीने पुराना संदर्भ यह बताने के लिए काफ है कि मध्य हुए बार-बार के बदलाव पर भी कठघरे में खड़ा पहले वर्तमान मुख्यमंत्री (तब के कांग्रेस अध्यक्ष) प्रदेश में अपराधों ने किस निरंकुशता के साथ पैर किया गया था। महिला अपराध में मध्य प्रदेश के कमलनाथ ने भाजपा सरकार के खिलाफ40 दिन- जमा लिए हैं। आश्चर्य की बात यह है कि चुनावी माथे पर लगा काला टीका कब मिटेगा, कहा नहीं 40 सवाल अभियान के तहत तीसरा सवाल प्रदेश माहौल में भी सभी राजनीतिक दल चुप हैं। जबकि, जा सकता। लेकिन, निरंकुश कानून-व्यवस्था यदि की बदहाल कानून-व्यवस्था को लेकर ही किया विपक्ष में खड़ी भाजपा के लिए प्रश्न पूछने का मौका जल्दी ही काबू में नहीं आई तो यह ऐसे प्रदेश की था। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) है। इस अधिकारपूर्वक अपेक्षा के साथ कि जो कार्य छवि खराब कर देगी, जिसे कभी शांति का टापू कहा का हवाला देते हुए उन्होंने बताया था मध्य प्रदेश में वे स्वयं नहीं कर पाए, उस कसौटी पर अपने विरोधी जाता था!