प्राथमिकता होनी चाहिए सुरक्षा
पूरे चुनाव अभियान के दौरान एक बात लगातार गुंजती रही है कि सुरक्षा खतरा का हव्वा वस्तुतः सत्तारूढ़ घटक जान-बूझकर लोगों का ध्यान जरूरी मुद्दों से भटकाने के लिए खड़ा कर रहा है। जबसे मजहबी चरित्र वाला वैश्विक आतंकवाद प्रचंड रूप में सामने आया है हमारे देश में लगातार बहस चलती रही है कि यह खतरा वाकई है या सरकार लोगों का ध्यान भटकाने के लिए भय पैदा करती है? जैसे ही आप देश की सुरक्षा की बात करेंगे एक वर्ग द्वारा आपको त्वरित प्रतिक्रिया मिलेगी कि भाजपा अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए राष्ट्रवाद और सुरक्षा की बात कर रही है। यह विषय का कितना सरलीकरण है, इसका अंदाजा उन लोगों को अवश्य है, जिन्हें विश्वव्यापी आतंकवाद के खतरनाक आयामों से लेकर पड़ोस के अन्य मंसूबों का पता है। दुनिया के किसी भी देश के लिए सुरक्षा प्राथमिकता होती है। जिस देश और समाज ने सुरक्षा प्रबंधके प्रति लापरवाही की, उसे भयावह परिणाम भुगतने पड़े। श्रीलंका इसका ज्वलंत उदाहरण है। आईएस ने श्रीलंका में फि हमलों की धमकी दी है। इस धमकी से परे आपातकाल के बीच कई हजार फैज और पुलिस के जवानों के ऑपरेशन के दौरान बीच-बीच में हो रहे विस्फेट इसकी पुष्टि कर रहे हैं कि पूरे देश में बारूद बिछ गया था। एक दूसरी घटना सैंदामरुडु में हुई, जहां तलाशी अभियान के दौरान आतंकवादी गोली चलाने लगा। पंद्रह लोग मारे गये। ऐसी और न जाने कितनी घटनाएं सामने आयेंगी। श्रीलंका इस भयावह स्थिति से बच सकता था। भारत ने उसे खुफिया इनपुट दिये थे, अमेरिका ने भी चेताया था, लेकिन वहां के अधिकारी यह मानने को तैयार ही नहीं थे कि आतंकवाद उनके यहां आ सकता है। चर्च पर धमाके की सटीक सूचना भारत ने हमले के दिन एवं उसके कुछ दिनों पूर्व भी दी जाहरान हाशिम गुपचुप तरीके से भारत आता था और थी। लेकिन, पुलिस प्रमुख ने उसे गंभीरता से लिया ही उसके भाषण के वीडियो यहां पहुंचते थे। हाशिम 2017 नहीं। वस्तुतः 2009 में लिट्टे के अंत के साथ श्रीलंका में दो बार भारत आया था और कुछ महीनों तक यहीं आंतरिक सुरक्षा को लेकर धीरे-धीरे निश्चिंत हो गया रहा हाशिम तमिलनाडु तौहीद जमात (टीएनटीजे) के था। इसका लाभ उठाकर आईएस से प्रेरित साथ भी जुड़ा हुआ था। हालांकि, अभी तक इस संगठन आतंकवादियों ने व्यापक जाल फैला लिया। घटना वहां के आतंकवादी गतिविधियों में किसी तरह की संलिप्तता होती है और बयान आईएस जारी कर देता है। वह उन के प्रमाण नहीं है। किंतु यह तथ्य देश को पता होना आतंकवादियों के नाम भी बता देता है, जो संघर्ष में या चाहिए कि एनआईए को कोयम्बटूर में आईएस आत्मघाती हमले में मारे गये। जिस नेशनल तौहीद मॉड्यूल की जानकारी मिली और उसकी जांच के जमात और उसके नेता जाहरान हाशिम को आतंकवाद दौरान जो कुछ प्राप्त हुआ, उनके आधार पर भारतीय का मुख्य सूत्रधार माना गया है, उसके बारे में पुलिस अधिकारियों ने श्रीलंका की खुफिया एजेंसियों को को कई बार शिकायतें मिलीं, पर गंभीरता से उसकी आतंकवादी हमले के संबंध में अलर्ट भेजे थे। छानबीन नहीं की गयी। भय यह पैदा हो रहा है कि एनआईए की जांच के दौरान बहुत सारे तथ्य सामने भारत जिस तरह की मानसिकता में जी रहा है, कहीं आये और छह लोग गिरफ्तार किये गये। सात लोगों के एक दिन हमारे यहां भी वैसी स्थिति पैदा न हो जाये। खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र भी दायर हो चुका है। आखिर श्रीलंका हमले के सूत्र भारत से भी तो जुड़े हैं। एनआईए की जांच में साफहो गया कि ये सभी आईएस की हिंसक चरमपंथी विचारधारा से प्रभावित थे। सोचनेवाली बात है कि जिन आरोपियों की गिरफ्तारी पूरे चुनाव अभियान के दौरान एक बात लगातार से श्रीलंका में हमला किये जाने की जानकारी मिली, गुंजती रही है कि सुरक्षा खतरा का हव्वा वस्तुतः उनसे भारत में हमले की कोई सूचना नहीं मिली होगी, सत्तारूढ़ घटक जान-बूझकर लोगों का ध्यान जरूरी ऐसा हो सकता है क्या? जांच एजेंसियां संपूर्ण मामले मुद्दों से भटकाने के लिए खड़ा कर रहा है। जबसे के सामने आने के बीच आये तथ्यों को सार्वजनिक मजहबी चरित्र वाला वैश्विक आतंकवाद प्रचंड रूप में नहीं करतीं। अगर ये भारत में पकड़े गये, तो खतरा सामने आया है हमारे देश में लगातार बहस चलती रही किसी दूसरे देश के लिए नहीं हो सकता। आप एक वर्ष है कि यह खतरा वाकई है या सरकार लोगों का ध्यान में ही आईएस से प्रभावित संभावित आतंकवादियों या भटकाने के लिए भय पैदा करती है? मॉड्यूलों के पकड़े जाने या सामने आने की घटनाओं जैसे ही आप देश की सुरक्षा की बात करेंगे एक पर नजर दौड़ा लीजिये, तो आपको आसन्न खतरे का वर्ग द्वारा आपको त्वरित प्रतिक्रिया मिलेगी कि भाजपा अहसास हो जायेगा। खतरा काल्पनिक नहीं, अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए राष्ट्रवाद और वास्तविक है। दुर्भाग्य यह कि हमारे यहां आतंकवाद के सुरक्षा की बात कर रही है। यह विषय का कितना खतरे को लेकर इतने मतभेद हैं कि अगर कोई घटना सरलीकरण है, इसका अंदाजा उन लोगों को अवश्य है, हो जाये, तो उसकी पुनरावृत्ति रोकने के लिए सख्त जिन्हें विश्वव्यापी आतंकवाद के खतरनाक आयामों से कदम उठाने का माद्दा भी कमजोर हो गया है। श्रीलंका लेकर पड़ोस के अन्य मंसूबों का पता है। दुनिया के तो हमले के बाद जड़ता की स्थिति से बाहर आकर पूरी किसी भी देश के लिए सुरक्षा प्राथमिकता होती है। भारत ने हमले के दिन एवं उसके कुछ दिनों पूर्व भी दी जाहरान हाशिम गुपचुप तरीके से भारत आता था और तरह गतिशील हो गया है। मसनल, बुर्का एवं नकाब जिस देश और समाज ने सुरक्षा प्रबंधके प्रति लापरवाही थी। लेकिन, पुलिस प्रमुख ने उसे गंभीरता से लिया ही उसके भाषण के वीडियो यहां पहुंचते थे। हाशिम 2017 पहनने का निषेध, शुक्रवार को नमाज पढ़ने के लिए की, उसे भयावह परिणाम भुगतने पड़े। श्रीलंका इसका नहीं। वस्तुतः 2009 में लिट्टे के अंत के साथ श्रीलंका में दो बार भारत आया था और कुछ महीनों तक यहीं मस्जिद में एकत्रित न होने, चर्चा को खतरा समाप्त होने ज्वलंत उदाहरण है। आईएस ने श्रीलंका में फि हमलों आंतरिक सुरक्षा को लेकर धीरे-धीरे निश्चिंत हो गया रहा हाशिम तमिलनाडु तौहीद जमात (टीएनटीजे) के तक बंद रखने जैसे कदम उठाये हैं। स्वयं मुस्लिम की धमकी दी है। इस धमकी से परे आपातकाल के था। इसका लाभ उठाकर आईएस से प्रेरित साथ भी जुड़ा हुआ था। हालांकि, अभी तक इस संगठन समुदाय के अग्रणी लोग आगे आकर अपील कर रहे हैंबीच कई हजार फैज और पुलिस के जवानों के आतंकवादियों ने व्यापक जाल फैला लिया। घटना वहां के आतंकवादी गतिविधियों में किसी तरह की संलिप्तता कि सुरक्षा खतरा देखते हुए बुर्का और नकाब नहीं ऑपरेशन के दौरान बीच-बीच में हो रहे विस्फेट होती है और बयान आईएस जारी कर देता है। वह उन के प्रमाण नहीं है। किंतु यह तथ्य देश को पता होना पहनना चाहिए। हमारे यहां ऐसे कदम उठाये जायें, तो इसकी पुष्टि कर रहे हैं कि पूरे देश में बारूद बिछ गया आतंकवादियों के नाम भी बता देता है, जो संघर्ष में या चाहिए कि एनआईए को कोयम्बटूर में आईएस धार्मिक स्वतंत्रता पर आघात से लेकर न जाने क्याथा। एक दूसरी घटना सैंदामरुडु में हुई, जहां तलाशी आत्मघाती हमले में मारे गये। जिस नेशनल तौहीद मॉड्यूल की जानकारी मिली और उसकी जांच के क्या आरोप लगने लगें।भारत आतंकवाद ही नहीं, अभियान के दौरान आतंकवादी गोली चलाने लगा। जमात और उसके नेता जाहरान हाशिम को आतंकवाद दौरान जो कुछ प्राप्त हुआ, उनके आधार पर भारतीय आंतरिक सुरक्षा पर मंडराते हर प्रकार के खतरे से लड़ने पंद्रह लोग मारे गये। ऐसी और न जाने कितनी घटनाएं का मुख्य सूत्रधार माना गया है, उसके बारे में पुलिस अधिकारियों ने श्रीलंका की खुफिया एजेंसियों को के लिए आवश्यक संकल्प के अभाव वाला देश बन सामने आयेंगी। श्रीलंका इस भयावह स्थिति से बच को कई बार शिकायतें मिलीं, पर गंभीरता से उसकी आतंकवादी हमले के संबंध में अलर्ट भेजे थे। चुका है। पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के विरुद्ध सकता था। भारत ने उसे खुफिया इनपुट दिये थे, छानबीन नहीं की गयी। भय यह पैदा हो रहा है कि एनआईए की जांच के दौरान बहुत सारे तथ्य सामने कदम भी यहां विवाद के विषय बनते हैं और एक वर्ग अमेरिका ने भी चेताया था, लेकिन वहां के अधिकारी भारत जिस तरह की मानसिकता में जी रहा है, कहीं आये और छह लोग गिरफ्तार किये गये। सात लोगों के तो इसे उन्मादित राष्ट्रवाद का कदम तक साबित करने यह मानने को तैयार ही नहीं थे कि आतंकवाद उनके एक दिन हमारे यहां भी वैसी स्थिति पैदा न हो जाये। खिलाफ न्यायालय में आरोपपत्र भी दायर हो चुका है। लगता है। यह स्थिति हर विवेकशील व्यक्ति के लिए यहां आ सकता है। चर्च पर धमाके की सटीक सूचना आखिर श्रीलंका हमले के सूत्र भारत से भी तो जुड़े हैं। एनआईए की जांच में साफहो गया कि ये सभी आईएस चिंताजनक है।