शिमला। सुशासन दिवस पर बुधवार को कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय के जारी 'सुशासन सूचकांक' में तमिलनाडु पहले पायदान पर रहा।
सुशासन सूचकांक को सुशासन के विभिन्न मानदंडों पर वैज्ञानिक ढंग से नागरिकों को केन्द्र में रखते हुए तैयार किया गया है, जो नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार का मुख्य मंत्र है। सुशासन सूचकांक मौजूदा समय में गवर्नेंस की स्थिति का आकलन करेगा और इसके साथ ही भविष्य के लिए भी आरम्भिक संदर्भ सीमा प्रदान करेगा।
सुशासन पहलों की पुनरावृत्ति न केवल भारत के राज्यों, बल्कि अन्य देशों में भी की जा रही है। सुशासन से जुड़े तौर-तरीकों की पुनरावृत्ति के लिए देश के विभिन्न हिस्सों में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) द्वारा कई क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किये गये हैं।
सरकार ने पहली बार सुशासन सूचकांक (जीजीआई) विकसित किया है। ताज अकड़ों के अनुसार 18 बड़े राज्यों की सूची में तमिलनाडु 5.62 के अंक के साथ पहले स्थान पर 5.40 के साथ महाराष्ट्र दूसरे स्थान पर व उत्तर प्रदेश (4.25) 17वें स्थान पर रहा और झारखंड (4.23) के साथ अंतिम पायदान पर रहा।
वहीं, पूर्वोत्तर एवं पर्वतीय क्षेत्रों में हिमाचल प्रदेश ने 5.22 के साथ पहला स्थान और अरुणाचल प्रदेश ने 3.03 के साथ अंतिम स्थान हासिल किया।
केंद्र शासित प्रदेशों में 4.69 के साथ पुडुचेरी प्रथम रहा।
'सुशासन सूचकांक' दरअसल सभी राज्यों में गवर्नेंस की ताजा स्थिति का आकलन करने और राज्य सरकारों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों द्वारा उठाये गये विभिन्न अहम कदमों के प्रभावों से अवगत होने का एकसमान साधन (टूल) है। सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में गवर्नेंस की ताजा स्थिति की तुलना करने के लिए मापने योग्य डेटा उपलब्ध कराना, गवर्नेंस में बेहतरी सुनिश्चित करने के लिए उपयुक्त रणनीतियों को तैयार एवं कार्यान्वित करने में राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों को सक्षम बनाना और परिणाम उन्मुख अवधारणाओं एवं प्रशासन की ओर अग्रसर होना जीजीआई के उद्देश्यों में शामिल हैं। संकेतकों का चयन करते समय विभिन्न सिद्धान्तों को ध्यान में रखा गया है। उदाहरण के लिए, इसे समझने एवं गणना करने की दृष्टि से आसान, नागरिक केन्द्रित एवं परिणाम उन्मुख होना चाहिए, इससे बेहतर नतीजे आने चाहिए और यह ऐसा होना चाहिए जिससे कि इसे सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में लागू किया जा सके। इस संबंध में हितधारकों के साथ विभिन्न परामर्श बैठकें आयोजित की गईं, जिनमें क्षेत्रवार विशेषज्ञों, मंत्रालयों, राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों के साथ सलाह-मशविरा करना भी शामिल हैं।