लखनऊ। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अच्छे स्वास्थ्य की कामना हुए कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को पत्र लिख कर एमएसएमई इकाईयां की आर्थिक मदद को कहा है ।
उन्होंने कहा कि सरकार ने बार बार इस बात को स्वीकारा है कि एमएसएमई इकाईयां हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं । यही समय है जब हमें यह सुनिश्चित करना जरूरी है कि देश की यह रीढ़ सुरक्षित रहे व और मजबूत बने । इस मामले में समय पर ठोस कार्यवाही कर परिवर्तन लाया जा सकता है ।
पिछले पाँच हफ्तों में हमारे देश ने अनेकों चुनौतियों का सामना किया है ।
माईक्रो , स्मॉल एवं मीडियम उद्योग ( एमएसएमई ) देश की जीडीपी में एक तिहाई का योगदान देते हैं एवं हमारे देश के कुल निर्यात में 50 प्रतिशत हिस्सा इस सेक्टर का है ।
लॉकडाऊन के दौरान लगभग सभी एमएसएमई के सेल्स ऑर्डर रुक गए हैं , उनका काम पूरी तरह से बंद हो गया तथा उनकी आय पर गंभीर व प्रतिकूल असर हुआ है ।
आर्थिक संकट के इस समय में बगैर मदद के यह सेक्टर बर्बादी की कगार पर आ खड़ा हुआ है । लॉकडाऊन से इस सेक्टर को रोजाना 30 , 000 करोड़ रु . का नुकसान हो रहा है ।
सबसे चिंताजनक बात यह है कि इनमें काम करने वाले 11 करोड़ से ज्यादा लोगों की नौकरी छिन जाने का खतरा सर पर मंडरा रहा है , क्योंकि ये एमएसएमई उनका वेतन व मेहनताना देने की स्थिति में नहीं हैं । इसलिए 1 लाख करोड़ रु . के एमएसएमई सेक्टर वेज प्रोटेक्शन पैकेज की घोषणा की जाए ।
1 लाख करोड़ रु . के ' क्रेडिट गारंटी फंड ' का गठन किया जाए । इससे इस सेक्टर में तत्काल लिक्विडिटी आएगी और एमएसएमई को जरूरत पड़ने पर पर्याप्त पूंजी उपलब्ध हो सकेगी ।
आरबीआई द्वारा उठाए गए कदम कमर्शियल बैंकों के जमीनी क्रियान्वयन में भी दिखाई दें , जिससे एमएसएमई इकाईयों को पर्याप्त , आसान दरों पर व जल्द से जल्द कर्ज सुनिश्चित हो सके । इसके अलावा आरबीआई के मोनेटरी ( मौद्रिक ) निर्णयों को सरकार की संपूर्ण वित्तीय मदद मिले , जिससे इन इकाईयों को लाभ पहुंचे । मंत्रालय में एक 24 / 7 हैल्पलाईन बहुत उपयोगी होगी , जो इस अवधि में एमएसएमई को मार्गदर्शन देकर सहायता प्रदान करे ।
इन उपायों के अलावा लोन के भुगतान के लिए आरबीआई द्वारा घोषित लोन मोरेटोरियम का लाभ एमएसएमई इकाईयों के लिए 3 माह से आगे बढ़ाकर इसका विस्तार किया जाए । सरकार को एमएसएमई के लिए टैक्स में छूट / कटौती तथा अन्य सेक्टर विशेष समाधान भी तलाशने चाहिए ।
अत्यधिक कोलेटरल सिक्योरिटी के चलते एमएसएमई इकाईयों को कर्ज नहीं मिल पाता । एमएसएमई इकाईयों के लिए ' मार्जिन मनी ' की सीमा भी मौजूदा स्थिति में बहुत अधिक है । इन कारणों से एमएसएमई सेक्टर को कर्ज की उपलब्धता कम है । इस समस्या का फौरन समाधान करना भी अति आवश्यक है ।