मौत के बाद न्याय की आस


हाथरस की बिटिया को जीते जी तो न्याय नहीं मिल सका। मौत के बाद भी शासन प्रशासन ने उसके शव का देर रात पुलिस बल की कड़ी सुरक्षा में परिवार वालों को बताए बिना ही अंतिम संस्कार कर दिया।


वहीं उसकी मां रोते हुए यही मांग करती रही कि कम से कम उसके शव को हल्दी तो लगाने देते। अब वो दुबारा तो आयेगी नहीं। उसको अपने घर के दरवाजे से अंतिम विदाई ही देना चाहते हैं।


बुधवार को हाथरस की बेटी के साथ हुए इस अन्याय के खिलाफ़ मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने जा रहे उत्तर प्रदेश काँग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू सहित सैंकड़ों काँग्रेस कार्यकर्ताओं पर वीवीआईपी गेस्ट हाउस के सामने पुलिस ने लाठियाँ बरसाई एवं सभी को गिरफ्तार कर लिया।


कांग्रेस प्रवक्ता अशोक सिंह ने कहा कि सनातन धर्म की बात करने वालों आधी रात को अन्तिम संस्कार कैसे जायज़ है। पीड़ित परिवार को अपनी बेटी का मुँह भी नहीं देखने दिया और उत्तर प्रदेश पुलिस ने आधी रात को पीड़िता का अन्तिम संस्कार कर दिया। ऐसा अन्याय मानव अधिकारो की हत्या ही नहीं बल्कि संविधान पर चोट है। नैतिकता के आधार पर मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। घटना की जांच हाईकोर्ट के सिटिंग से कराई जानी चाहिए। जब तक परिवार को न्याय नहीं मिलेगा कांग्रेस सरकार के खिलाफ आवाज उठाती रहेगी। भाजपा की स्वाति सिंह भी खामोश है नारी के सम्मान में भाजपा मैदान में।


शायद सरकार को दलित बिटिया की मौत पर इतने शोर का अंदाजा नहीं था। खैर मुख्यमंत्री ने घटना की  जांच के लिए 03 सदस्यीय एस0आई0टी0 गठित कर दी है।एस0आई0टी0 07 दिन में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। 


प्रधानमंत्री ने भी घटना की जानकारी मुख्यमंत्री से ली और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं।


साथ ही मुख्यमंत्री ने दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध फास्ट ट्रैक कोर्ट में मुकदमा चलाकर तथा प्रभावी पैरवी करते हुए अपराधियों को सख्त से सख्त सजा दिलाने की बात कही है।


यक्ष प्रश्न तो यही है "क्या न्याय के लिए मारना होगा??"